मैं धरती बोल रही हूँ,
हाँ हाँ, मैं धरती बोल रही हूँ
अपनी बात बताने को मैं
मैं कबसे डोल रही हूँ
मैं धरती बोल रही हूँ
मैंने ही सबको जन्म दिया
मैंने ही सबको पाला भी
अपने कोख मे सींचा तुमको
मैंने ही दिया निवाला भी
पर तुम सबको मेरी कदर नहीं
मैं कब से बोल रही हूँ
मैं धरती बोल रही हूँ
तूने अपना संसार बसाया
फिर अपना परिवार बढ़ाया
अपनी खुदगर्जी के ख़ातिर
तूने मेरा खून बहाया
जितना चाहा दोहा मुझको
ये सब मैं झेल रही हूँ
मैं धरती बोल रही हूँ
खेत बनाए, खलिहान बनाए
जीने के सब सामान बनाए
मतलब से ज्यादा नीर बहाया
नदियों का तूने वेग घटाया
अपनी सुविधा के ख़ातिर
विलासिता के सामान बनाया
तेरी हटधर्मी को तेरे मैं
बिन कहे देख रही हूँ
मैं धरती बोल रही हूँ
हवा बदली तूने घाटा बदली
प्रकृति की दशा बदली
स्वच्छ नीले आसमान की
प्रदूषण से आभा बदली
सावन बदला, वसंत बदला
गर्मी, सर्दी, हेमंत
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