Share0 Bookmarks 47787 Reads1 Likes
लोग वही है बर्ताव नया, मिलने का अंदाज नया
पहले चिपके-चिपके चलते थे, अब दूरी का है अवतार नया
हाय-हैलो सब भूल गए है, अब हाथ मिलना भूल गए है
अब दूर से बातें करते है , सब गले लगाना भूल गए है
जब से हम घर पर बैठे थे, छुट्टी से ऐंठे बैठे थे
पहले सी अब कोई तलब न थी, मन पर काबू कर बैठे थे
बस कुछ दिन मे हीं ये हाल हुआ, तन-मन मेरा बेहाल हुआ
गठीला शख्त बदन मेरा, अदरक जैसा बदहाल हुआ
फुर्ति भी वैसी रही नहीं, कुर्सी की आदत रही नहीं
लैपटाप और की-बोर्ड की, ऊंगली की यारी रह
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments