कुछ शेर's image
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हुस्न ने हर गली में मेला लगा रखा है

इश्क़ की नुमाइश सरेआम लगा रखा है

जो गया उस गली लौट के आया हीं नहीं

उसने मौत का हर सामान छुपा रखा है


वो हमसे पूछते है की दर्द क्या है

कैसे हम उनसे बताए ये मर्ज़ क्या है

देख लूं उनको ज़रा तो हालत सुधरे

एक बार मिल जाने में उन्हें हर्ज़ क्या है


हर मरीज़ ज़ख्म का घायल नहीं होता

हर कोई इश्क़ का कायल नही होता

दर्द मिल जाए तो बोल खुद ही निकल पड़ते है

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