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हुस्न ने हर गली में मेला लगा रखा है
इश्क़ की नुमाइश सरेआम लगा रखा है
जो गया उस गली लौट के आया हीं नहीं
उसने मौत का हर सामान छुपा रखा है
वो हमसे पूछते है की दर्द क्या है
कैसे हम उनसे बताए ये मर्ज़ क्या है
देख लूं उनको ज़रा तो हालत सुधरे
एक बार मिल जाने में उन्हें हर्ज़ क्या है
हर मरीज़ ज़ख्म का घायल नहीं होता
हर कोई इश्क़ का कायल नही होता
दर्द मिल जाए तो बोल खुद ही निकल पड़ते है
पर हर दिल जला शख्स शायर नहीं होता
सब पूछते थे मेरे लिखने की वजह क्या है
ग़म अपना दिखाने की वजह क्या है
हम थे बेबाक उनसे ये हमने पूछ लि या
अजी आपके बेतक्कलुफी की वजह क्या है?
हर बार खुदको हमने जोड़ के देखा है
हर राह को तेरी तरफ मोड़ के देखा है
मेरे दर्द से तुझको बड़ा सुकून मिलता है
बस इसी बात पर हर बार दिल तोड़ के देखा है
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