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जब तक तुमने खोया कुछ ना, दर्द समझ ना पाओगे
चाहे कलम चला लो जितना, कुछ ढंग का लिख ना पाओगे
जो तुम्हारा हृदय ना जाने, कुछ खोने का दर्द है क्या
पाने का सुकून क्या है, और ना पाने का डर है क्या
कैसे पिरोओगे शब्दों में तुम, उन भावों को और आंहों को
जो तुमने ना महसूस किया हो, जीवन की असीम व्यथाओं को
जब तक अश्क को चखा ना तुमने, स्वाद भला क्या जानोगे
सुख और दु:ख में फर्क है कैसा, कैसे तुम पहचानोगे
कैसे लिखोगे श्रुंगार का रस तुम, जो प्रेम ना दिल में बसता हो
प्रीत के गीत लिखोगे कैसे, जब सौन्दर्य तुम्हें ना जंचता हो
क्या लिखोगे यारी पर जो, मित्र ना पीछे छूटा हो
उम्र भर संग रहने का कोई, वादा ना तुमसे टूटा हो
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