कोई पूछे मेरे दिल से, मैं क्युं गुमसुम सा रहता हूँ
सभी तो साथ है मेरे पर, मैं क्युं खोया सा रहता हूँ
है कितनी बात दबी दिल मे, जिन्हें हूँ चाहता कहना
नज़ारे यूं तो काफी है, मुझे है बस एक तो तकना
है जैसे की वो परछाई, जिसे छु नहीं सकता
है मेरे पास वो लेकिन, साथ वो रह नहीं सकता
बहूत हूँ चाहता उसको, उसे ये कह नहीं सकता
लबों पर नाम है लेकिन, जुबा से ले नहीं सकता
उसी के ख़यालो मे, मैं अब हूँ जागता सोता
हंसी मेरी उसी से है, उसी के नाम से रोता
सुकून हैं वहीं मेरा, मेरी बेचैनी उसी से है
दवा है वही मेरा, मरज़ भी उसी से है
वही मंजिल है बस मेरी, मुसाफिर मैं उसिका हूँ
नसिबा है वही मेरा, मुकद्दर मैं उसी का हूँ
चलूँ कैसे मैं रास्ते में बस कंकड़ है कांटें हैं
मेरे हिस्से में मोहब्बत ने बस ठोकर ही बांटें हैं
है इतनी सी बस चाहत वो मुड़ के देख ले मुझको
सुना दूँ हाल-ए-दिल अपना इज़ाज़त दे कभी मुझको
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