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कब चाहा मैंने के तुम मुझसे नैना चार करो
कब चाहा मैंने के तुम मुझसे मुझसा प्यार करो
कब चाहा मैंने के तुम मेरे जैसा इज़हार करो
कब चाहा मैंने के तुम अपने प्रेम का इकरार करो
कब चाहा मैंने के तुम मुझसे मिलने को तड़पो
कब चाहा मैंने के तुम बादल जैसे मुझपर बरसो
कब चाहा मैंने के तुम अपना सबकुछ मुझपर लूटा बैठो
कब चाहा मैंने के तुम अपना चैन सुकून गवा बैठो
कब चाहा मैंने के तुम चाहो मुझको दीवानों सा
कब चाहा मैंने के तुम याद करो मुझे बहानों सा
कब चाहा मैंने के तुम मुझसे मिलो बहाने से
कब चाहा मैंने के तुम मुझे महफ़ूज रखो जमाने से
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