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रगो मे खून बनकर तेरे, युं “जुनून” बहता है
बिना मंज़िल के ना रुकन, ये सुकून कहता है
हुआ क्या राहों मे तेरे, जो बस पत्थर ही पत्थर है
चूमेंगे पाँव वो तेरे ये “जुनून” तुझसे कहता है
है मुश्किल सफर तेरा ये, गलियां तुझको कहती है
चुनी ये राह जिसने भी, गुमान दुनिया करती है
तू देख कर चट्टानों को कभी हिम्मत नहीं खोना
पल भर की नाकामी पर तू भूल कर भी नहीं रोना
पहाड़ो मे सुराख कर दे ,
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