
Share0 Bookmarks 21 Reads0 Likes
रगो मे खून बनकर तेरे, युं “जुनून” बहता है
बिना मंज़िल के ना रुकन, ये सुकून कहता है
हुआ क्या राहों मे तेरे, जो बस पत्थर ही पत्थर है
चूमेंगे पाँव वो तेरे ये “जुनून” तुझसे कहता है
है मुश्किल सफर तेरा ये, गलियां तुझको कहती है
चुनी ये राह जिसने भी, गुमान दुनिया करती है
तू देख कर चट्टानों को कभी हिम्मत नहीं खोना
पल भर की नाकामी पर तू भूल कर भी नहीं रोना
पहाड़ो मे सुराख कर दे ,ये हिम्मत बस तुझी मे है
सीना चीर दे अंबर का, जुनूं जो है तो मुमकिन है
काम ऐसा जहाँ मे क्या जो तुझसे हो नहीं पाएगा
फैसला तू अगर कर ले, तो हर मंज़िल को पाएगा
सफर को बीच मे छोड़, नहीं फितरत है ये तेरी
“ज़रूरत” तेरी मंज़िल हैनहीं है “आरज़ू” तेरी
जो चाहेगा तू पाएगा बस ये हौंसला रख ले
जीतेगा तू ही एक दिन, अगर तू हार को चख ले
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments