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जो कही नहीं तुम से, मैं वो ही बात कहता हूँ
चलो मैं भी तुम्हारे संग कदम दो चार चलता हूँ
चाहत थी यही मेरी के तू भी साथ चल मेरे
न बंदिश हो ना दूरी हो राहूँ जब साथ मैं तेरे
लूटा दूँ ये जवानी मैं बस इस दो पल की यादों मे
छुपा लूँ आँ खमे अपने न बहने दूँ मैं पानी मे
कहता हूँ जो नज़रों से जुबा से कह ना पाऊँगा
हूँ रहता साथ मैं हरदम पर तेरा हो ना पाऊँगा
हक़ीक़त है यही मेरी मैं तुझसे प्यार करता हूँ
तू वाकिफ है मेरे सच से मैं कितना तुझपे मारता हूँ
कभी ना साथ छोड़ूँग
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