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जी चाहता है

Aman SinhaAman Sinha April 30, 2022
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है फूलों सी खुशबू तेरे इस बदन में

जी चाहता है मैं साँसों में भर लूँ

अधूरा रहेगा ये इकरार मेरा

पहलू में अपने जो तुझको ना भर लूँ


हंसी से तेरी खिल जाती है कलियाँ

जगमग सी हो जाती है तेरे आने से दुनिया

है किसने मिलाया नशा इस समा में

कदम लड़खड़ाते है देख कर तेरी गालियां


मैं ज़िंदा हूँ साँसे लिए जा रहा हूँ

यौवन को तेरी पीए जा रहा हूँ

सरकने ना देना तू सीने से आँचल

ख्वाहिश मनचलों सी किये जा रहा हूँ

तेरी हर हया को बस मैं जानता हूँ

तेरी हर अदा को मैं पहचानता हूँ

छुपा के जो रक्खा है दिल तुने अपना

वो मेरा ही हक़ है ये मैं मानता हूँ


बातों में अपनी तू उलझा के रख ले

सवालों के मेरी तू सुलझा के रख ले

जताना तभी तू अपनी वफ़ा को जो

मुझे अपनी आखों में बसा के तू रख ले


दवा का असर और दुआ की कसर है

बिन तेरे मुझपे ये सब बेअसर है

है मुमकिन नहीं कुछ भी तुझसे छुपाना

हर हरकत पर मेरी ये तेरी नज़र है 

 

झिझकते हुए तेरी बातों को कहना

मेरे साथ अंजानी राहों पर चलना

ये मैं जानता हूँ या तू जानती है

कैसा मज़ा है मोहब्बत की तडपन में जलना


सफर है ये लंबा मगर काट लेंगे

आपस में अपने हम ग़म बाँट लेंगे

मिलेंगे ज़ख़्म ये हमको पता है

वफाओं की पट्टी हम बाँध लेंगे 



 




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