
जा रे-जा रे कारे कागा, मेरे छत पर आना ना
आना है तो आजा पर, छत पर शोर मचाना ना
तू आएगा छत पर मेरे, कांव-कांव चिल्लाएगा
ना जाने किस अतिथि को, तु मेरे घर बुलाएगा
उल्टी पड़ी पतीली मेरी और चूल्हे में आंच नहीं
थाल सजाऊँ कैसे मैं घर में कोई अनाज नहीं
जा रे-जा रे कारी चींटी, मेरे घर तु आना ना
टूटी मेरी कुटिया में तू, अपना घर तो बसाना ना
तू आएगी साथ में अपने, बैरी बादल लाएगी
छत से पानी टपकेगा फिर, तु चैन से सो ना पाएगी
कच्ची मेरी कुटिया की फिर, गीत जहां मे गायेगी
जो ना जाने हाल को मेरे, उसको भी सुनायेगी
जा रे-जा रे चाँद निगोरे, मेरी अटरिया आना ना
अपनी सुरत में मुझको, परदेशी की याद दिलाना ना
तू आएगा साथ में अपने, भूख भी मेरी ले आएगा
सुनी अँधियारी रातों में, रोटी की याद दिलाएगा
बच्चे मेरे सोये भुखे, पेट को गमछे से बांधे
द्वार निहारे नयन से अपने, बापु का रस्ता साधे
जा रे-जा रे शैतान चकोरे, पीहू-पीहू बुलाना ना
साँझ ढले जब चैन ना आए, मन मेरा भटकाना ना
तू बैठेगा डाल पर मेरे, अपने साथी को जोहेगा
लेकिन मेरा पागल मन फिर, प्रिय की यादों में खो जाएगा
वो जो हमको भूल है बैठा, रोटी की परवाह में
उसको भी ना चैन मिलेगा, हम लोगों की याद में
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