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हम मिलें या ना मिलेंं, चाहे फूल ना खिलें
लेकिन इन हवाओं में, हमारा वजूद होना चाहिए
हम चलें जिस राह में, मंज़िलों की चाह में गर मिल सके ना कारवाँ से
राहपर अपने मगर, निशान होए चाहिए
हम रहें या ना रहेंं, अश्क बनकर ना बहें
चाहे बदनामी सही पर, अपना नाम होना चाहिए
हम जलें या न जलेंं, रोशनी से ना मिले
लेकिन हर दिलों में
अपनी दिल की, आग होनी चाइए
हम कहें या ना कहें, गीत बनकर ना रहे
शहर की हर दीवार पर, अपनी आवाज होनी चाहिए
हम लड़े या न लड़े चाहे घाव ना भरे
पर सभी के पास कलाम सी
तीखी एक औज़ार होनी चाहिए
हम मरें या ना मरें, कोई काम पूरा ना करे
सबके मन में पूर्णता का भाव होना चाहिए
हम बनें या मिटें, पर राह पर रहें डटें
इमारत जो ना बन सके
तो हमें पहली नींव होनी चाहिये
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