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आज का दिन है बड़ा सुहाना, हवा में खुशियां फैली है

आओ मिलकर ख़ुशी मनाए, घाटी ने बाहें खोली है


सत्तर साल से जिन पैरों को, जंजीरों ने जकड़ा था

घाटी के दामन को अब तक, जिन धाराओं ने पकड़ा था


ख़त्म हुआ अनुच्छेद आज वो, अब तुम खुलकर साँसे लो

कदम बढ़ाओ तुम भी आगे, इस राष्ट्र पुरुष (अखण्ड भारत) के संग हो लो

शायद थोड़ी देर हुई है, ये पहले ही हो जाना था

भारत माँ को ये धरोहर, पहले ही मिल जाना था


घाटी केवल स्थान नहीं है, भारत माँ का सम्मान है

मुकुट शीष का सदा रहा है, देश का ये अभिमान है


बहुत सहा है अब तक तुमने, जाने कितने दुःख पाए है

तेरी सीमा के रक्षा में अबतक, कितनों ने प्राण गवाएं है

आतंकवाद के दाग को तुमने, बड़े दिनों तक झेला है

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