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तु देखे ना देखे मुझे तुझ पर छोडा है
पर मैं ना देखूं तुझे ये मुमकिन ही नहीं
तु चाहे ना चाहे मुझे ये तेरी मर्ज़ी है
पर मैं ना चाहूँ तुझे ये मुमकिन नहीं
एक सच ये भी है की तु बस मेरी है
ये तु ना माने, बात कुछ खास नहीं
कभी फुर्सत में भी ना देखना तू आईना
अक्स मेरा तुझमे ना दिख जाए कहीं
खो आया हूँ तेरी गलियों में मैं दिल अपना
साथ ले आना अपने, उसे, जो मिल जाए कहीं
चल पड़ा जो कभी लौट के ना आऊंगा
के ये वो मर्ज़ है जिसका है कोई इलाज नही
बहुत रोए हैं तेरे ग़म में और ना रो पाएंगे
फ़रियाद कई है पर अब बची आवाज़ नहीं
सांसे चलती है और जिस्म अब भी ज़िंदा है
ज़िंदा रहने में मग
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