Share0 Bookmarks 44400 Reads0 Likes
एक जनम मुझे और मिले, मां, मैं देश की सेवा कर पाऊं
दूध का ऋण उतारा अब तक, मिट्टी का ऋण भी चुका पाऊं
मुझको तुम बांधे ना रखना, अपनी ममता के बंधन में
मैं उसका भी हिस्सा हूँ मां, तुमने है जन्म लिया जिसमे
शादी बच्चे घर संसार, ये सब मेरे पग को बांधे है
लेकिन मुझसे मिट्टी मेरी, मां, बस एक बलिदान ही मांगे है
सब हीं आंचल मे छुपे रहे तो, देश को कौन संंभालेगा
सीमा पर शत्रु सेना से, फिर कौन कहो लोहा लेगा
तुमने दुध पिलाया मुझको, तुमने हीं चलना सिखलाया है
देश प्रेम है सबसे पहले, मां, ये तुमने ही पाठ पढाया है
जैसी मुझको तुम प्रिय रही, मां, मातृ भूमी भी प्यारी है
बहुत दिया है इसने हमको अब लौटाने की बारी है
अगले जनम जो मिली मुझे तो, मन अपना तुम पत्थर करना
इस बार सभी है लु
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments