दंगे के बाद's image
Poetry2 min read

दंगे के बाद

Aman SinhaAman Sinha June 6, 2022
Share0 Bookmarks 48461 Reads1 Likes

क्या कभी तुम गुज़रे हो उन ख़मोश गलीयों से 

जहाँ पिछली रात दंगे की रात थी 

        

चारों तरफ एक चीखती खामोशी छाई है 

तंग गलीयों की दीवार पर 

खून के धब्बे फैले थे 

        

कहीं किसी की टूटी चप्पल भागती नज़र आती है         

किसी के खून से सने पंजों के निशान 

दरवाजों पर मदद मांगती नज़र आती है             

कई मकान फुंके गए होंगे 


ना जाने कितनी दुकाने जलायी गई होंगी 

ना जाने कितने कफन और चिताओं की दुकानों की 

दिवाली चार महीने पहले ही आ गयी 

                

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts