
आज तुम मेरे साथ चलते हो, बात-बात में ये कहते हो
तुम साथ मेरा न छोड़ोगे, मेरा दिल कभी ना तोड़ोगे
पर क्या हो के ऐसा हो जाए ,मेरी सूरत का ये रस ढल जाए
देख कर मेरा कुरुप सा चेहरा, तुम आँखें नहीं चुराओगे ना
बोलो साथ निभाओगे ना?
क्या हो जो मैं कह ना पाऊँ, तेरी बातें मैं सुन ना पाऊँ
तुम मेरी धड़कन पढ़कर, मेरी बात समझ तो जाओगे ना
कहीं कभी जो आँखें खोलु , पर तुमको हाथों से टटोलूँ
उस दिन मेरी आँखें बनकर, तुम दुनिया मुझे दिखाओगे ना
बोलो साथ निभाओगे ना?
जो बैसाखी का सहारा हो , मेरे हाथ भी नकारा हो
तुम मुझको बाहों में भरकर बगिया की सैर कराओगे ना
ऊंचाई तक ना चढ़ पाऊँ, तेरे संग खड़ी ना हो पाऊँ
तुम पास मेरे आकार फिर संग खड़े हो जाओगे ना
बोलो साथ निभाओगे ना
हर हाल में साथ निभाऊंगा, नि:स्वार्थ सा तुमको चाहूँगा
बस तेरी स्नेह की खातिर मैं तुझ पर जान लुटाऊँगा
पर मेरी भी एक बात सुनो मैं पड़ जाऊँ जो बीमार कहो
देख कर मेरी पीड़ा को तुम आँसू तो नहीं बहाओगी ना
बोलो साथ निभाओगी ना
भर ना पाऊँ जो ना पेट तेरा, आधा नंगा हो बदन तेरा
सर जो तेरे छत ना हो संग मेरे पाँव जलाओगी ना
फुटपात पर जो सोना हो, छांव किसी ना कोना हो
तुम ऐसी हालात में भी अपना संयम नहीं गवाओगी ना
बोलो साथ निभाओगी ना
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