बेग़ैरत's image
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वो मेरा करीबी था, मैं मगर फरेबी था

इश्क़ वो वफा ओं वाली चाह बन के रह गयी


जो भी सितम हुए, सब मैंने ही सनम किए

टोकरी दुआओं वाली, आह बनके रह गयी


था मेरा गुरूर उसको, मेरा था शुरूर उसको

साथ जब मैंने छोड़ा, आंखे नम रह गयी


सपनों का था एक क़िला, मिलने का वो सिलसिला

तोड़ा उसके दिल को मैंने, पल मे सारी ढह गयी


वादे उसकी सच्ची थी, मेरी डोर कच्ची थी

फर्जी मेरी वायदे मे फंस के जैसे रह गयी


बेरहम सा प्यार मेरा, मोम जैसा दिल था उसका

मेरी खुदगर्जि के आगे, अफसोस करके रह गयी


था बड़ा सुकून उ

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