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मैंने देखा है जहाँ में लोग दो तरह के है
हाँ यहाँ पर हर किसी को रोग दो तरह के है
एक को लगता है जैसे सब देवता के हाथ है
एक को लगता सबकुछ दानवो के साथ है
मन के विश्वास को कोई आस्था बता रहा
दूसरा अपने भरम को सत्य से छिपा रहा
लोगों के आस्था का यहाँ हो रहा व्यापार है
हर गली में पाखंडियों का लग रहा बाज़ार है
अंधकार में है भटकता ज्ञान जिसको है नहीं
और कोई ज्ञान को ही सत्य मानता नहीं
नब्ज़ पकड़ी है ठगों ने बेबस इंसान की
अपना घर भर रहे सब पैसो से हराम की
कोई खुदको देवी माँ का शिष्य है बता रहा<
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