आखिर कयुं?'s image
Poetry2 min read

आखिर कयुं?

Aman SinhaAman Sinha May 28, 2022
Share0 Bookmarks 47909 Reads0 Likes

दिल के अंदर कुछ टूट गया अपना सा कोई रूठ गया 

लाख सम्हाला मैंने पर साथ किसी का छुट गया 

वो साथी था वो हमदम था मेरे घावों पर मरहम था 

मैं जहां गया वो वहाँ चला हमराही मेरा हरदम था 


हाव भाव से ढीला था स्वभाव से थोड़ा शर्मिला था 

आवाज़ में नरमी थी उसकी बदन से थोड़ा लचीला था

वो यार था मेरा प्यार नहीं था लोगों को एतबार नहीं 

ना जाने क्यों ऐसी बातें लोगो को होती स्वीकार नहीं 


तन से नर दिखने वाला, वो मन से पुरा नारी था

कुंठित समाज के नज़रों में तो वो पूर्ण व्यभिचारी था

ये गलती तो कुदरत की है आभा अलग काया अलग

तन से मन का है मेल नही जिस्म अलग और रूह अलग

 

खुद को नारी जानने वाला नारी पर ललचाये कैसे

मन से नर को चाहने वाला, नारी से नैन लडाये कैसे

पर यारी है सबसे अलग जिसमे लिंग का भेद नहीं

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts