अज्ञात's image
Share0 Bookmarks 45396 Reads0 Likes

खयालो में मेरे खयाल एक आता है

भरम मेरा मुझको यूं भरमा के जाता है


दिखता नहीं है पर वो बातें करता है

नहीं साथ मेरे पर महसूस होता है


है वो झोंका हवा का ये है अंदाज़ मेरा  

नहीं जानती मैं अब क्या है अंजाम मेरा


वहां घूमता है जहां चाहता है

गगन हो फलक हो ये सब चूमता है


जो देखा कहीं पर तो पहचान लूंगी

यही मर्ज़ मेरा है मैं जान लूंगी


मिला जो कही तो फिर जने ना दुंगी

के बाहों से उसको मैं थाम लूंगी

 

मैं अंजान उससे पर वो जानता है

वो है बस यहीं पर ये दिल जानता है


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts