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खयालो में मेरे खयाल एक आता है
भरम मेरा मुझको यूं भरमा के जाता है
दिखता नहीं है पर वो बातें करता है
नहीं साथ मेरे पर महसूस होता है
है वो झोंका हवा का ये है अंदाज़ मेरा
नहीं जानती मैं अब क्या है अंजाम मेरा
वहां घूमता है जहां चाहता है
गगन हो फलक हो ये सब चूमता है
जो देखा कहीं पर तो पहचान लूंगी
यही मर्ज़ मेरा है मैं जान लूंगी
मिला जो कही तो फिर जने ना दुंगी
के बाहों से उसको मैं थाम लूंगी
मैं अंजान उससे पर वो जानता है
वो है बस यहीं पर ये दिल जानता है
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