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जागो मेरे वीर सपूतो, मैंने है आह्वान किया
आज किसी कपटी नज़रों ने मेरा है अपमान किया
किसी पापी के नापाक कदम, मेरी छाती पर ना पड़ने पाए
आज सभी तुम प्रण ये कर लो, जो आया, कुछ, ना लौट के जाने पाये
दिखला दो तुम दुश्मन को, तुम भारत के वीर सिपाही हो
तुमको ना कोई रोक सका, जितनी भी गहरी खाई हो
हिमालय से भी ऊंची है तेरे आत्मबल की चोटी
तोड़ दो उनके अरमानो को, जिनकी नियत सदा है खोटी
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