ये जो साल अच्छा था's image
Aalok ShrivastavPoetry1 min read

ये जो साल अच्छा था

Aman Pratap SinghAman Pratap Singh October 18, 2021
Share0 Bookmarks 194966 Reads1 Likes
रात की गहराइयों से क्या पूछूं
सबनम आई थी समा जलाने
या गई मिट्टियों की प्यास बुझाने

सवालों के बस्तर, है बंधे मन में
जी ना लग रहा, इसके भजन में

भींगे भींगे अरमान है 
जंग लगी कमान है
ना पूछो क्या फरमान है
खतरे में पड़ी जान है

टहनियों पे बूंदे उछल रही है
बदन के ताप से मचल रही है
कोई आए बुझाए इस तड़पन को
आंखों को खूब-रु की कमी खल रही है

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts