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कह रहे है ज़ालिम सन्नाटा भरो
खुद की कहानियों में
कही डूब ना जाना
अतरंगी परेशानियों में
ये जो वक्त है न
जज़्बातों को भी रोक लेता है
सुलझी हुई पहेलियों में भी
उलझनें ख़ोज लेता है
थम थम के अहसास करो
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