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ख़ामोश जुबां कहे तो क्या
ज़िद्दी दिल करे तो क्या
अँगारों पे चलने की ठानी है
हमने कब किसी की मानी है
गुंडों के लठैतो से डर जाए क्या
बकवास बकैतों से लड़ जाए क्या
अपना जिगरा माफ़िक है शेरों जैसा
कुचल दे सर को हाथी जैसा
आने वाले आयेंगे, घर घर जाएंगे
तुमको है पता, कब किसे सताएंगे
थम के थम जाना, स्वार्थ से निकल जाना
सर पे उसके पांव है, उससे जरा संभल जाना..
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