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आधी रात से अधर में हूं
ना जाने किस समर में हूं
यादें भिगो देती है हमें उसकी
उसके वादों के कठिन डगर में हूं
राहों की मुश्किलें संभाल लूंगा मैं
उसके कही बातें भी मान लूंगा मैं
उसकी बातों मे
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