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प्रेम के दृश्य सुंदर तो देखे कई,
प्रेम में दृश्य सुंदर तो देखे कई,
माँ की ममता से ऊपर कोई भी नहीं।
माँ का करुणा भरा सा है जो मृगनयन,
आजतक कोई दूजा नयन ही नहीं।।
माँ के पायल सी कोई, दिव्य झंकार हो
वो आभूषण अभीतक बने ही नहीं।
माँ की गढ़नो, बनावट की तुलना करें
ऐसा रूपक तो संसार में ही नहीं।।
मैं पूँजीपति हो गया हूँ, पूरे संसार में,
माँ मुझे एक अनूठे रतन सी मिली।
मैं जो करता हूँ; माँ की इबादत कभी,
पूजूँ भगवान मैं भी, जुरूरी नहीं।।
~ "अश्क" कवि
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