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तुम पागल हो झूठ नहीं बोलते हो,
मैं बोल लेता हूं देखो कितना अच्छा हूं।
सब-कुछ सही बोलकर तुमको मिलता क्या है,
जब सब बोलते ही हैं तो फिर भी तुमको क्या है।
सचको झुठ झुठ को सच बताकर जीते हैं लोग यहां,
तुम ढुढतें हो हर किसी में गांधी हरिश्च
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