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तुमको ही तब वस्तु समर्पित,
चाहूंगा स्वीकार्य करो।
घट-घट में मानस के स्वामी,
मेरे मृदु उद्गार भरो।
चाहूंगा स्वीकार्य करो।
घट-घट में मानस के स्वामी,
मेरे मृदु उद्गार भरो।
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