
एक बार बस एक बार ,
तुम स्त्री बन के तो देखो ।
उनके मन को जान कर,
उनके दर्द को समझ कर।
एक माँ एक बहन एक बेटी
एक स्त्री की तरह,
शारीरिक रूप से नहीं,
मानसिक रूप से,
क्या पीड़ा है ?
कृष्ण के तरह नहीं ,
राधा के तरह जान कर
समझ कर देखो,
क्या परेशानी है उन्हे?
क्यों वे अबला कहलाई जाती है ?
सुना हूं, शक्ति बहुत है उनमें
क्या सिर्फ सहने के लिए ही है ? शक्ति
एक बार सह के तो देखो,
किन्ही और के लिए रह के तो देखो।
कभी पत्नी कभी माँ कभी बहन
कभी बेटी बन के तो देखो,
एक बार दूसरों के लिए जी के तो देखो।
एक बार बस एक बार,
स्त्री बन के तो देखो।
वो क्या चाहती किसके लिए चाहती,
एक बार जान के तो देखो,
सीता अपने लिए बनवास नही गई।
उन्हें बनवास नही मिला था।
वे खुद रावण के पास नही गई ।
फिर भी अग्नि परीक्षा उन्ही के लिए क्यों?
द्रोपति खुद अपमानित नही हुई थी।
दुःशासन ने किया था चीरहरण।
फिर महाभारत के कारण द्रोपती कैसे?
क्यों हर समस्या का कारण बन जाती है स्त्री ?
क्या! कारण बन जाती या बनाई जाती है?
क्यों हर बार स्त्री को ही दोषी ठहराई जाती है?
क्यों उन्हें आजादी नहीं है ?
कानूनी रूप से नहीं,
मानसिक रूप से।
क्या तुम्हे लगता है।
उन्हे मिली है आजादी, पूर्णरूप से ।
इन सारे सवालों के जवाब मिल जायेगा ।
एक बार बस एक बार ,
तुम स्त्री बन के तो देखो।
' आलोक अनंत '
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