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हे बरसाती नदियां ,
हे बलखाती नदियां ,
क्यों तुम हर साल में ?
केवल कुछ एक महीनो
के लिए ही आती हो,
क्यों नही तुम भी
गंगा के तरह
सभी के पाप धो पाती हो ?
क्यों तुम कुछ दिनों में ही ,
सभी को प्यासी कर जाती हो?
क्यों तुम चंद मौसमों
पर निर्भर हो ?
क्यों तुम बेटी के पीहर में
आने&nbs
हे बलखाती नदियां ,
क्यों तुम हर साल में ?
केवल कुछ एक महीनो
के लिए ही आती हो,
क्यों नही तुम भी
गंगा के तरह
सभी के पाप धो पाती हो ?
क्यों तुम कुछ दिनों में ही ,
सभी को प्यासी कर जाती हो?
क्यों तुम चंद मौसमों
पर निर्भर हो ?
क्यों तुम बेटी के पीहर में
आने&nbs
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