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Zyada Poetry ContestPoetry1 min read

मिरी ज़बाँ कतर तो दीजिए हुज़ूर

Ankit YadavAnkit Yadav March 26, 2023
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मिरी ज़बाँ कतर तो दीजिए हुज़ूर

ज़रा ये काम कर तो दीजिए हुज़ूर



मैं हूँ ख़राब आदतों का मुंतज़िर

मुझे सज़ा इधर तो दीजिए हुज़ूर


चलाइए न अपना लोमड़ी दिमाग़

सही कोई ख़बर तो दीजिए हुज़ूर


कहाँ छुपा रहे हैं आप अपना हाथ

हमारे हाथ पर तो दीजिए हुज़ूर


डरे डरे से लग रहे हैं आप तो

अब ओखली में सर तो दीजिए हुज़ूर


कलर गुलाब का है होंठ पर लगा

ज़रा इधर अधर तो दीजिए हुज़ूर

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