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जब उसके अश्क से ये हाथ सनता जा रहा था
हमारे दरमियाँ कुछ था जो छनता जा रहा था
ख़ुशी से छोड़ दी फिर एक दिन उसकी गली भी
मैं उससे मुख़्तलिफ़ हूँ जैसा बनता जा रहा था
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जब उसके अश्क से ये हाथ सनता जा रहा था
हमारे दरमियाँ कुछ था जो छनता जा रहा था
ख़ुशी से छोड़ दी फिर एक दिन उसकी गली भी
मैं उससे मुख़्तलिफ़ हूँ जैसा बनता जा रहा था
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