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Ghazal (इन हवाओं के ग़ुबारों से निकल कर आए)

Ankit YadavAnkit Yadav March 25, 2023
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इन हवाओं के ग़ुबारों से निकल कर आए

फिर कोई रश्क सितारों से निकल कर आए


फिर किसी को हो तबीअत से तमन्ना मेरी

फिर कोई रम्ज़ बहारों से निकल कर आए


मेरी इक चुप ने यूँ आवाज़ लगाई उसको

वो अगर है तो क़तारों से निकल कर आए


हम कहीं तुम थे कहीं और हवा थी गुम-सुम

और कुछ रंग दरारों से निकल कर आए

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