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ग़ज़ल
कब तलक यूं ही हाल करना है
जीते जी ही विसाल करना है
अब तो ये हाल की बरसों तक
ज़िंदगी पर मलाल करना है
रंज मत कर यूँ हाल पे मेरे
मुझको सबका ख़्याल करना है
कब तलक झेलता रहूंगा दुख
हाल अपना निहाल करना है
लोग पड़ जाए देख हैरत में
यार ऐसा कमाल करना है
अक्तर अली आलिफ
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