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चाहता हूं मैं ,
चाह है मेरी
तुम रहो प्रतीक्षारत,
जब मैं आऊं चलकर,
कंटीली, पथरीली राहों से
रेतीली राहों में तपकर
लोहलुहान, छाले भरे, रक्तरंजित पांव लिए ,
तब सुस्ताऊंगा मैं
बैठकर घड़ीभर तुम्हारे पास
रखकर तुम्हारी गोद में सर अपना।
तुम बस रख भर देना,
मेरे घांवों पर अपना हाथ,
कर देना, होंठों से हल्की सी हवा,
सहला देना ,हौले से मेरे माथे को
फेर देना ,मेरे
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