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 सुनो राधे ,जाना है अब मुझको जिस पथ,

ये पथ, मुझे तुमसे सदा के लिए दूर ले जायेंगें

पुनः इस पथ

पग मेरे संभवतः न कभी लौट पायेंगें,

बस स्मृतियां ही विगत की,

रह जायेगीं शेष।

चाहता हूं तुमसे मात्र इतना ही कहना,

जो भी था हमारे मध्य,

अनाम ,संबंधों की परिभाषाओं में अपरिभाषित

था सहज ,सुंदर ,सरल ,संपूर्ण।

जो जिया हमने,

जिन पलों रहे हम साथ वो पूर्ण थे,

तुम सोचना कभी

लोग वर्षों ,

संबंधों की डोर में बंधे,

बिता देते हैं संपूर्ण जीवन

कटुता से भरे, रिक्त ,अतृप्त

एक पूर्ण पल की कामना में,

फिर तुम जान पाओगी कि हमारा साथ ,

हमारा संबंध इतना अद्भुत क्यों था।

मैं तुम्हें आज ही, यह भी बताता हूं

कि भविष्य में हमारा संबंध ,हमारा साथ

हमारा संयुक्त नाम बन जायेगा मापदंड ,

प्रेम की पराकाष्ठा का,

जिससे ऊपर की कल्पना संभव ही नहीं होगी।

ऐसे संबंधों में कोई विछोह,

कोई वियोग नहीं होता ,

कोई किसी को नहीं कोसता ,

कोई किसी को नहीं बांधता ,

कोई किसी को नहीं रोकता,

कोई किसी के लिये नहीं रोता,

कोई लेशमात्र भी दुख नहीं है ढोता।

मैं जानता हूं कि भविष्य में जब कभी भी

अपनी व्यस्तताओं के क्षणों में

विश्राम के कुछ पल मैं चुराऊंगा

तुम्हारे संग बिताये हुए पलों की स्मृतियां

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