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विज्ञान कहता है
हमने बचपन में ही पढा़ है
चंद्रमा ऊबड़-खाबड़ ,असमतल ,गड्ढों से भरा
धरा का एक प्रकाशहीन उपग्रह है,
उसका समस्त सौंदर्य तब तक है
जब तक वो सूर्य की रश्मियों में आलोकित है।
पर हम नहीं थकते,
चंद्रमा के सौंदर्य का बखान करते,
धवल चांदनी को चंद्रमा का प्रकाश बताकर
उसकी प्रशंसा में सहस्रों गीत लिखते,
प्रेमिका के मुख के
अप्रतिम सौंदर्य की तुलना चांद से करते,
उस चांद से जो ऊबड़-खाबड़,असमतल और
बिना सूर्य की रोशनी में निस्तेज है,
भावना में बहकर
तथ्यों की अनदेखी का
इससे अच्छा उदाहरण क्या होगा।
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