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यह मेघ पावस ऋतु के,
यह पहली वृष्टि सावन की,
क्या बुझा पायेगी तृष्णा
धरा के अगन की ।
सावन की घटाओं में ऐसा क्या है
जो गीत इन पर इतने गाये गये,
क्या मेघ सावन के ही तो नहीं
राग मल्हार गाते हैं,
क्या इन्हीं बरसते मेघो
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