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सखि,
यह प्रथम वसंत है आया
कान्हा के मथुरा से द्वारका गमन के पश्चात
प्रकृति ने चतुर्दिक है रंग बिखराया
शत -शत पुष्प है पल्लवित
वृक्षो के गात पर नवल हैं पात
फूलें है गहरे लाल रंग के पलाश
फागोत्सव आने
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