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मुझे कई बार लगता है
जो जीवन मैं जी रहा हूं
वो मिथ्या है
कितनी झूठ की परतें चढ़ाए
कितने अनकहे सत्य अंतर में छुपाए
कितने टूटे हुए स्वप्नों का बोझ उठाए
कितने टूटे संबंधों की लेकर पीड़ाए
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