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मन में ही राम बसते, मन में ही बसते कितने रावण हैं
मध्य इनके मन में ही होते न जाने कितने रण हैं।
सत्य क्या- असत्य क्या ,अच्छा क्या- बुरा क्या
सब अपने जीवन दर्शन के अनुसार करते ये निर्धारण हैं।
पर सामाजिक नैतिकताओं, मूल्यों की कसौट
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