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जिनके प्रति उत्तरदायी हो तुम
जिनके दुखों का कारण हो तुम
उत्तर दो क्या उनके,
मुरझाये हुए स्वप्नों को
क्या पुनः कभी खिला पाओगे ?
टूटे हुए विश्वासों को
क्या कभी भला जोड़ पाओगे ?
अश्रु हैं जिन नयनों में
क्या भला कभी तुम पोंछ पाओगे?
अधरों पर बसे मौन को
क्या कभी स्वर दे पाओगे ?
छोड़ी हुई पगडंडियों पर
क्या कभी लौट पाओगे ?
छूटे ह
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