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गहन निर्जन के तम में डूबे सूने मंदिर की
सूनी ड्योढ़ी पर जैसे एक दीप जला जाताहै कोई ।
वर्षों से धूल से अटी पुरानी वीणा पर
जैसे जीवन का नया राग छेड़ जाता है कोई ।
वर्षों से बंद पड़े सूने से मन का
प्रवेश द्वार , कितने वातायन खोल जाता है कोई
सूनी सूनी सी पथरा
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