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उम्र तो अक्सर दिखाती है आईना मुझे
मगर नादां दिल पालता है कितनी हसरतें नई।
दिल में उभरते हैं सौ खयाल
मगर जुबां को आदत सी है खामोशी की।
2. तुम्हें आरजू है मुझसे लफ्ज़ों
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उम्र तो अक्सर दिखाती है आईना मुझे
मगर नादां दिल पालता है कितनी हसरतें नई।
दिल में उभरते हैं सौ खयाल
मगर जुबां को आदत सी है खामोशी की।
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