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सोचो ,हम आने वाली पीढियों को
क्या देकर जायेंगें
अविश्वास ,भय,विद्वेष ,दुश्चिंताएं
इतना सब कुछ एक दूसरे के प्रति लेकर
कहो कैसे एक दूसरे को गले लगायेंगें ।
अंतरमन में पल रहे हो घृणा और द्वेष इतने,
कहो फिर.एक स्वर ,एक राग में गीत भला कैसे गाएंगे।
मन में संदेहों के घेरे हों
पल रहे न जाने कितने अंधेरे हों
औरों के पथ भला कैसे आलोकित कर पाएंगे।
करने आलोकित अपने ही पथ
जब दीप एक जला न सके
औरों के तम कैसे दूर भगाएंगे
उनके पथ कैसे दीप जलाएंगे।
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