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यूं ही गुजा़र दी सारी जिंदगी
इस बात की पशेमानी लेकर कहां जाएं।
अब तक जो ठहरी हुई हैं सीने में
वो सब बातें पुरानी लेकर कहां जाएं।
वक्त पर न मिलीं जो
ऐसी सब मेहरबानी लेकर कहां जाएं।
कोई जानता नहीं तो क्या ,जो हमें पता है
वो दिल में छुपी हुई बेईमानी लेकर कहां जाएं।
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