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यूं ही गुजा़र दी सारी जिंदगी
इस बात की पशेमानी लेकर कहां जाएं।
अब तक जो ठहरी हुई हैं सीने में
वो सब बातें पुरानी लेकर कहां जाएं।
वक्त पर न मिलीं जो
ऐसी सब मेहरबानी लेकर कहां जाएं।
कोई जानता नहीं तो क्या ,जो हमें पता है
वो दिल में छुपी हुई बेईमानी लेकर कहां जाएं।
बिछड़े तो मगर ,जो साथ अब तक हैं
वो सब तेरी निशानी लेकर कहां जाएं।
जो किसी से कह न पाए, कभी सुना न पाए
वो सब कहानी लेकर कहां जाएं।
उम्मीदें सबको है हमसे अक्लमंदी की,मगर
दिल में जो बच्चा है उसकी नादानी लेकर कहां जाएं।
जो गंवा दी यूं हीवो अपनी बीती हुई जवानी लेकर कहां जाएं।
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