जुबां तक आई है's image
Poetry1 min read

जुबां तक आई है

aktanu899 नीरवaktanu899 नीरव April 8, 2022
Share0 Bookmarks 99 Reads0 Likes

जाने क्या क्या दर्द सहे इस दिल ने

तब जाके ये दास्तां जुबां तक आई है।

शोरोगुल से घबराकर हम ही भागे थे

अब जाने क्यूं डराती ये तन्हाई है।

क्या गिला औरों से सीने में भड़कते छुपे शोलों का,

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts