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सांसों के अनवरत
उठने गिरने का क्रम है जीवन
सांसों का मौन ही
पूर्ण विराम जीवन का कहलाता है।
जीवन कब रुकता है,
जीवन कब थमता किसी के जाने से,
बिना मौन हुए सांसों के स्वर
कौन भला जग से मुक्ति पाता है।
एक ही पथ न जाने कितनों को
किन किन गंतव्यों तक पहुंचाता है
एक ही पथ कितने
अनजान अपरिचितों को मिलाता है।
एक ही पथ पर एक ही यात्रा करते हुए
पथ लोगों को दृश्य अलग अलग दिखलाता है,
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