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उधार की रोशनी में चमकता रहा चांद
सूरज चुपचाप नेपथ्य में जलता रहा।
चांद और चांद की झूठी चांदनी की शान में
लोग पढ़ते रहे कसीदे
सूरज अपना दर्द लिए उबलता रहा।
हकीकत से सारी दुनिया है वाकिफ़ कि
चांद के पास अपनी कोई रोशनी नहीं
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