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तुम्हारा हाथ अपने हाथों में लेकर
अनजानी राहों पर बहुत दूर तक जाना चाहता हूं।
वो गीत कभी गा न सका अब तक ,लबों तक ला न सका
वो सब गीत मैं अब गाना चाहता हूं।
जो कुछ मुझे मिला नहीं कभी जिंदगी में
खयालों में ही सही वो सब कुछ पाना चाहता हूं।
जो मुझसे कभी मिले भी नहीं,पर जानता हूं मैं जिन्हें
उनके दिल में भी उम्र भर के लिए घर बनाना चाहता हूं।
नाम थे जिन रिश्तों के उनको तो निभा न सका मैं
पर हर इक अनाम रिश्ता शिद्दत से निभाना चाहता हूं।
वो दर्द जो जिंदगी को जिंदगी बना दे
उसे दिल में हमेशा के लिए बसाना चाहता हूं।
भूल कर जिंदगी के सब रंजो गम,अहम, डर, वहम
घड़ी दो घड़ी बस खुलकर मुस्कराना चाहता हूं।
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